श्री कृष्णाची आरती
ओवाळू आरती मदनगोपाळा ।
श्यामसुंदरा गळा वैजयंतीमाळा ॥धृ.॥
चरणकमल ज्याचे अति सुकुमार ।
ध्वजवज्राकुश ब्रीदाचे तोडर ॥१॥
नाभिकमल ज्याचे ब्रह्मयाचें स्थान ।
हृदयी पदक शोभे श्रीवत्सल छान ॥२॥
मुखकमल पाहता सूर्याचिया कोटी ।
वेधले मानस हारपली दृष्टी ॥ ३ ॥
जडित मुगुट ज्याचा देदीप्यमान ।
तेणे तेजे कोंदले अवघे त्रिभुवन ।। ओवाळू॥४॥
एका जनार्दनी देखियले रूप ।
रूप पाहता जाहले अवघे तद्रूप ॥५॥
- Home
- Shree Ganpati | श्री गणपती
- Shree Durga Devi | श्री दुर्गादेवी
- Shree Shankar | श्री शंकराची आरती
- shree Datt | श्री दत्ताची आरती
- Shree-Mahalakshmi | श्री महालक्ष्मीची आरती
- Shree Renuka | श्री रेणुका देवीची आरती
- Devi Gauri | देवी गौरी
- Shree Krushna | श्रीकृष्ण
- Devi Ekveera | देवी एकवीरा
- Shree Ram | श्रीराम
- Shree Pandurang/ Viththal | श्री पांडुरंग / विठ्ठल
- Shree Vishnu | श्री विष्णू
- Shree Hanumant/Maruti | श्री हनुमंत/मारुती
- Gajanan Maharaj | गजानन महाराज
- Shree Kalika Amba | श्री कालीका अंबा
- Kapur Aarati | कापूर आरती
- Ghalin Lotangan | घालीन लोटांगण
- Mantra Pushpanjali | मंत्र पुष्पांजली
- Tulasi Aarati | तुळशीची आरती
